पिछले अध्यायो में हमने आपको मुक्के बनाने की तरकीब बताई थी! अतः हम यह मान कर चलते है यदा-कदा आप इनका प्रयोग भी कर रहे होगे! हम आशातीत है आप इसमें आनन्द लेने लग गए होगे और आपको कुछ तनाव कम करना भी आ गया होगा! अब हम इसी विधि को थोड़ा विस्तार देते है ताकि आप स्वयं पर काबू करना सीख जाए!
इस विधि के प्रयोग में आप ककड़ी, खीरा, मूली, गाजर, जो भी उपलब्ध हो उसी पर प्रयोग कर सकते है! आप एक चाकू लीजिए तथा उपरोक्त में से कोई भी सब्जी ले लीजिए तथा उसे चाकू से काटे तथा बारीक से बारीक काटे अब आपने इसको जल्दी-जल्दी में काट लिया है, परन्तु आपने कोई ध्यान नहीं दिया, यदि आपने थोड़ा-सा भी ध्यान दिया है तो सोचे कहीं ऐसा तो नहीं है कि जब आप सब्जी काट रहे थे तब हाथ और चाकू के काम में आपके दांत भी सहयोग कर रहे थे और आपके मस्तिष्क में खींचाव महसूस हो रहा था ऐसा ही होता है! परन्तु डरने की बात नहीं है आपने अभी तक ऐसा ही किया है अब आप इस विधि से सब्जी कांटे!
ध्यान रहे खीरा, ककड़ी, मूली, गाजर, लोकी कोई भी ले परन्तु उसके बाद वह खाने में प्रयोग हो जाए अर्थात जो भी आपको सलाद में पसंद है उसी पर अनुभव करे ताकि आपका ध्यान भी हो जाए और आपका खाना भी बन जाए! अब आप कोई एक सब्जी ले तथा धीरे-धीरे चाकू से काटना शुरू करे और यह ध्यान रखे जैसे मुक्के बनाने में सारे शरीर की ताकत प्रयोग करते थे वैसे ही यहाँ भी ध्यान रखना है कि यह काम हाथ का है दांत का नहीं, आप यह ध्यान रखे जब आप चाकू से सब्जी काट रहे है तो दांतो पर जोर नहीं आना चाहिए और आप देखे धीरे-धीरे आप बहुत हल्का महसूस कर रहे है और आपको अपने पर आश्चर्य भी हो रहा होगा, और हंसी भी आ रही होगी कि बिना काम कितनी ताकत ऐसे ही खराब चली जाती है, आप जितनी आंतरिक शक्ति बचाएंगे उतना ही आपकी यात्रा सुचारु चलती रहेगी!