शायद जहाँ तक आदमी को कुछ भी याद रहता है तो वह इतना ही जान पाता है कि उसका अपना कुछ भी नहीं है, वह भी शायद साधना पथ पर चलने वाला कोई विरला ही समझ सकता है! यदा-कदा कोई एकाएक इस मानव जाल से बाहर आ पाता है, तथा जो जान जाता है उसकी कोई क़दर नहीं कर पाता है, क्योंकि इस सोते हुए संसार के बीच में अकेला जागने वाला वही होता है!
जब-जब आप कुछ याद कर पाए तो आपको अपने बचपन की कुछ बातें याद आएंगी, क्योंकि जब तक कोई होश में रहता है, तब तक ही वह कुछ जान पाता है! अब हम बचपन से ही बात करना शुरू करते है, शायद यही सही रहेगा, देखिये जब आप बचपन में यानी 1 से 2 साल के हुए तभी आपका प्रशिक्षण शुरू हो जाता है, कोशिश तो प्रथम दिन से ही शुरू हो जाती है! आप आज के सन्दर्भ में अपना बचपन जानने की कोशिश करे जैसे आज माँ-बाप एवं पूरा परिवार बच्चे को सिखाता है वह क्या है, यह क्या है, माँ कौन है, पापा कहाँ है आदि-आदि! उसके बाद हर बात पर समझाना यह गलत है – वह गलत है और आप का बेवकूफ बनाना शुरू आपके स्कूल के शिक्षक कर देते है जहाँ प्रत्येक विषय में एक ही बात के कई-कई अर्थ समझाए जाते है यहाँ से आपका दिमाग पूर्ण भ्रष्ट होना शुरू करा दिया जाता है, उसके बाद आपको दूसरों से कैसे पेश आना है चाहे आपकी इच्छा हो या ना हो आपको हर समय एक नया तथा झूठा चेहरा इस्तेमाल करना सिखाया जाता है, और जब आप निपुण हो जाते है तो आपको पूरा का पूरा मन सड़ चुका होता है, कई बार तो आप आपको अपने होने की छोटी सी झलक मिलती है!
अब आप याद करे कि आप कितने चेहरे इस्तेमाल करते है जैसे घर का चेहरा, बाजार का, पार्टी का, अपने से बड़ों के सामने का, छोटों के सामने का, साथ वाले के सामने का, घर पर ही माँ-बाप, भाई-बहन, बेटा-बेटी तथा पत्नी/पति के आगे भी दुनिया भर के नकाब लेकर आप घूम रहे है और फिर भी यही मानते है कि आप है ये सब है, शायद यही है
अब इतने प्रशिक्षणों के बावजूद हम भी आपको एक नया प्रशिक्षण बताते है जोकि आपको इन चेहरों से निजात दिलवा सकता है अगर आप ईमानदारी से इसका प्रयोग करे तो!
- सबसे पहले आप अपने आप को ढूढ़ने का प्रयास करे यानी अपना अवलोकन करे कि आप जिस भी किसी से मिलते है आप ही है या कोई ओर!
- यदि आप किसी के बारे में बुरा सोचते है तो उसके सामने ही बता दे, कि आप उसके बारे में ऐसा-ऐसा सोचते है!
- एक कॉपी में सब कुछ लिख ले कि जब-जब आपने सही होना सीखा तो क्या-क्या अड़चने आई तथा उन पर गौर से काम करे कि ये क्यों नहीं टूट पा रही है!
- जब भी किसी से सामना हो या बात हो तो सामने वाले के नाक की नोक पर ध्यान दे आपको सामने वाले की वास्तविकता का आकलन होने लगेगा!
- जब आप दूसरे को सच्चाई बताएंगे तो हो सकता है कि आपस में दरार आ जाये तो साथ ही साथ सामने वाले से माफ़ी भी मांग ले यह कहकर कि शायद आप गलत है, इससे आपको भी शुरू-शुरू में पीड़ा महसूस होगी!
- सबको एक साथ न लेकर अलग-अलग दिन एक-एक पर प्रयोग करे ताकि आप ज्यादा अन्तर्द्वन्द में न फसे!
और हाँ जब आपको इन चेहरों से मुक्ति मिलनी शुरू हो जाये तो आप खुले आसमान के नीचे हाथों को फैलाकर आसमान को 2 या 3 मिनट निहारते रहे, आपको बहुत ही सकारात्मक ऊर्जा मिलेगी!
जब कभी आपके पास समय हो तो आप जमीन पर या चारपाई पर हाथों तथा पैरो को फैला के कमर के बल तथा ऐसी ही बाद में पेट के बल 2 या 3 मिनट तक अपने पूरे शरीर को ढीला छोड़ते चले ओर शरीर को महसूस करे तथा अपने अनुभव का मजा ले!
गज़ब साहेब