आखिर आप मान क्यों नहीं लेते है!

आप और हम सभी सामजिक प्राणी है! तथा इस समाज में अलग-अलग प्रजातियों के साथ आपका सामना होता है जैसे पशु जगत, पेड़-पौधे आदि! परन्तु यदा कदा आपका सामना आप जैसे मानव प्राणी से भी होता है! अक्सर जानवरो में देखा गया है कि जब भी इनमें लड़ाई होती है तो एक-दूसरे को हराने या अपनी शक्ति के आकलन के लिए होती है कभी भी ये एक-दूसरे को जान से नहीं मारते है, परन्तु चूहे और मानव में जब कभी लड़ाई-झगड़ा होता है तो इसमें हराने के लिए नहीं, यहाँ तो मारने के लिए होती है! इसी तरह आप का समाज आपको किसी न किसी रूप में मारना चाहता है और आप ताउम्र अपने को बचाने का प्रयास करते रहते है!

सबसे पहले आप अपने को जानना सीखे! ताकि आप दूसरो को जान सके! आप थोड़ा-सा जोर देकर सोचे कोई घटना आपके साथ ऐसी भी घटी है क्या जैसे:- कोई काम आपने किया नहीं है परन्तु फिर भी आपको दोषी ठहराया जाता होगा! अब आप क्या कर सकते है, शायद आपने अपनी सफाई में दो-चार गवाह बना लिए हो जोकि आपके यार-दोस्त हो सकते है, परन्तु आपने यहाँ ध्यान देना होगा कि यदि आप सामने वाले की बात मान लेते तो आप थोड़ा संकुचित ही होते परन्तु आपको सब को सफाई देने में जो शक्ति गवाई वो बच जाती तथा आपके आंतरिक परिवर्तन में काम आती!

उदाहरण के लिए यदि कोई आपको बेवकूफ बताता है तो सामने वाला आपको साबित करने की पूरी तैयारी में है, परन्तु आप के पास सफाई देने के लिए कोई तैयारी नहीं है, अब आप क्या कर सकते है, आनन-फानन में दो-चार फलां-डिमका गवाह बना लेते है परन्तु फिर भी सामने वाला मानने को तैयार नहीं है, आप अपने इज्जत, हैसियत , रुपया -पैसा, घर परिवार किसी की मिसाल दे-दे परन्तु सामने वाला ना मानने के लिए पहले ही तैयार है!

अब आप अपने को बचाने के लिए एक तरकीब इस्तेमाल कर सकते है जैसे अगर कोई कहे आप बेवकूफ हो तो आप उसकी हामी भर दे, हाँ आपको थोड़ी लज्जा महसूस होगी, परन्तु सामने वाला धराशाही हो जायेगा क्योकि जो-जो तैयारियां उसने हाँ करवाने के लिए की थी वो सब धरी की धरी रह जाएगी! अतः: आप मान ही ले तो सही है ताकि आप अपनी आंतरिक शक्ति संगठित कर सके तथा हामी भरने पर सामने वाले की हालत समझ सके और पूर्णतया: मजा ले सके!

भगवान संरचना

भ- भूमि
ग- गगन
व- वायु
आ- आग
न- नीर

दृश्य तत्व अदृश्य तत्व अनुभव
भूमि/धरती गगन/आकाश ब्रह्म
आग/अग्नि वायु/हवा निर्वाण
नीर/जल