सूक्ष्म शरीर

हमें आशा है कि आपने स्थूल शरीर के नियमो का पालन भली-भांति करना शुरू कर लिया होगा! अब हम अगले यानि दूसरे शरीर कि यात्रा पर आगे बढ़ते है! सूक्ष्म यानी बहुत ही महीन जिसको देखा न जा सके आँखों से परन्तु अनुभव किया जा सकता है! इस शरीर को जाग्रत करने में स्थूल शरीर मुख्य रूप से सहायक है; सूक्ष्म शरीर को प्राण शरीर से भी जाना जाता है, इस शरीर का मुख्य भोजन प्राण वायु यानि वायु है! इसको सही और सुचारू रूप से चलने के लिए शुद्ध हवा का होना जरुरी है! जितनी ज्यादा शुद्ध हवा में सांस लेंगे उतना जल्दी ये जाग्रत होगा! शुद्ध हवा मुख्यत: वातावरणीय हवा ही है न कि आधुनिक एयर कंडीशनर द्वारा छोड़ी गयी हवा! इसमें आपकी सुबह-सुबह खेतों में, पार्को में जाकर शुद्ध हवा का सेवन करना होगा! और यदि ऐसा नहीं कर पा रहे है तो आप अपने कमरे में घी का दीया जलाये या फिर गुग्गल धूप जलाएं (आधुनिक धूप को छोड़कर आप गुग्गल सामग्री का ही प्रयोग करें)!

जब आप सांस लेते है तो सांस आपके फेफड़ों के एक/चौथाई भाग तक ही पहुँच पाती है और फिर बाहर निकल जाती है, जिसको उथली सांस भी कहते है! आपको सांस लेते समय यह ध्यान रखना है कि सांस लेने पर आपका पेट पूरा फूले और निकलने पर पिचक जाए, शुरू-शुरू में यह आपको 15 से 20 मिनट बलपूर्वक करना होगा उसके बाद यह आप स्वयं अनुभव करेंगे कि सांस अपने आप पेट को फूला और पिचका रही है, इस क्रिया से आपके फेफड़ो में तीन/चौथाई तक हवा प्रवेश कर जाएगी और आपके अंदर नई संरचनाये बनने लगेगी! आधुनिक समय में हमारा सांस छाती को फूलाकर ही बाहर हो जाता है! अतः नियमित प्रयोग से हम इसे पेट तक पहुँचाने का प्रयास करेंगे; हाँ ये भी है पेट में हवा नहीं जाती परन्तु जितना पेट फूलेगा उतना ही फेफड़ो को फूलने के लिए जगह उपलब्ध होगी, सांस तो फेफड़ो में ही जाएगी परन्तु गहराई तक पहुँचेगी वहीँ पेट से सांस लेना कहा गया है!

जैसे-जैसे सूक्ष्म शरीर जाग्रत होना शुरू होगा आपके अंदर कुछ भविष्य की घटनाओ का पूर्वानुमान लगने लगेगा, जैसे किसी का फ़ोन आने से पहले आपको लगेगा कि फ़ोन आ रहा है परन्तु फ़ोन आपके आभास के बाद ही आएगा! या फिर किसी परिचित कि बातें सुनने लगेगी जो आपके पास नहीं है! कभी-कभार कोई दूसरा जो बोलेगा वही आप बोलेंगे एक साथ और कहेंगे मेरे मुँह की बात छीन ली! या फिर दूसरा अपने अंदर कुछ गुनगुना रहा है और आप भी वही गुनगुना रहे है आदि!

कुछ विधिया है जो आपके लिए कारगर रहेंगी जो आप किसी भी समय प्रयोग कर सकते है! इसमें किसी की कोई जरुरत नही है आप किसी के साथ बैठे हुए भी कर सकते है उसको पता भी नहीं चलेगा और आप करते भी रहेंगे! जो की निम्नलिखित है:

  1. सुबह बिस्तर से उठने से पहले पुरे शरीर को जोर से खींचे लेटे-लेटे ही यानि लेटे-लेटे पुरे जोर से अंगड़ाई ले और कुछ देर में शरीर को ढीला छोड़ दे! ऐसा दो या तीन बार ही करें!
  2. जब कभी आपके पास फुरसत हो तब आप जितना हो सके जोर लगाकर दोनों हाथों के मुक्के बनाए और जोर बढ़ाते रहे, आप महसूस करेंगे की आप कंपकपा रहे है तथा अपने दांतों से भी कीट-कीटाने की आवाज आने लगेगी!
    परन्तु हमने आपको मुक्के पर जोर लगाने के बारे में कहा है न कि दाँतों पर! अब आप ध्यान दे आप हाथो के मुक्के के साथ-साथ दांतो पर भी जोर लगा रहे है जोकि आप की शक्ति को नष्ट कर रहे है! अब आप जैसा बता रहे है वैसे मुक्के बनाए और महसूस करें कौन-सा आपको आराम करवा रहा है!
    आप अपनी उँगलियों को हथेली तक मोड़े और फिर हथेली को कलाई की तरफ मोड़े जैसे मुक्का बनता है तथा ध्यान रहे जो आप जोर लगा रहे है वह हाथ का ही जोर हो और दांतो पर कोई जोर न आये! अब आप ऐसे दिन में 5 से 7 बार करें आपको तनाव में काफी राहत मिलेगी!
  3. दिन में या रात में किसी भी समय दोनों हाथो को इतना करीब लाए कि दोनों मिलने की कगार पर हो पर मिल न पाये, फिर पीछे ले जाए ऐसा बार-बार करते रहे, कुछ देर में आपको लगेगा कि दोनों हाथ एक-दूसरे को दूर कभी नजदीक खींच रहे है ये ही आपका चुम्बकीय प्रभाव है! इसके क्या फायदे है? ये आगे किसी क्रिया में समझाया जायेगा! अतः आप इस पर काम करते रहे आप बेहद हल्के हो जाएंगे!
  4. दिन में रात में खाने से पहले या खाने के 90 मिनट बाद आप फर्श/जमीन या बेड/चारपाई पर पैर सीधे फैलाकर बैठ जाए तथा हाथ पैरों के ऊपर या पास में हथेली नीचे की तरफ करके रखे! अब आप सांस लेने व छोड़ने पर ध्यान दे! शरीर को ढीला छोड़ दे! जैसे-जैसे सांस पेट तक जाएगी और बाहर आएगी शरीर पीछे की तरफ गति करेगा! आप शरीर को पीछे गिरने दे और आप सांस लेते रहे, धीरे-धीरे शरीर पीछे गिरता रहेगा आप सांस लेटे रहे एक समय पर शरीर में खिंचाव के साथ कंपकपी आएगी घबराने की कोई जरुरत नहीं है आप निरन्तर सांस प्रश्वास लेते रहे, शरीर को गिरने दे! कुछ देर बाद आप के बर्दाश्त से बाहर हो जायेगा, सारा शरीर कंपकपाने लगेगा पर आप सांस पर ही ध्यान दे धीरे-धीरे कमर को नीचे लगने दे जैसे ही आप पूर्ण लेट जाए शरीर को जितना हो सके ढीला छोड़ दे, हो सकता है कुछ समय के लिए आपको नींद आ जाए तो डरना मत क्योकि नई शक्ति का संचार हो रहा है इससे होने दे! यदि आपको दर्द महसूस हो तो इससे प्रयोग में न लाए! अन्यथा सप्ताह में दो या तीन बार जरूर करें यह आपके सारे शरीर के अन्दर के कोषो को खोल देता है!

जब आपका सूक्ष्म शरीर जाग्रत होने लगता है तो आपका ये हर रोया (रोए) द्वारा सांस लिया जाता है, तो ऐसे में आपको कुछ प्रयोग में आने वाले सौन्दर्य प्रशाधन पर ध्यान देना होगा जोकि आपके सारे प्रयासों को विफल कर देता है!

  1. यदि आप पुरुष है तो ज्यादा खुशबुदार सौन्दर्य प्रशाधन का इस्तेमाल न करें और हो सके तो छोड़ दे!(जैसे डियो, सेन्ट आदि)
    और हाँ यदि आप स्त्री है तो आपको अपनी कुछ कीमती आदतों को छोड़ना होगा जैसे क्रीम, पाउडर,लिपस्टिक इत्यादि! क्योकि जितना ज्यादा सौन्दर्य प्रशाधन प्रयोग में लाएंगे उतना ही सूक्ष्म शरीर से दूर रहेंगे ये आपकी स्वेच्छाही आप छोड़े या नहीं परन्तु विधि को दोष न दे!
  2. आप तली/तेलीय या डिब्बा बंध चीजो का इस्तेमाल नाममान्य ही करें अचार, चटनी, मुरब्बे ताजा बना कर ही खाये!
  3. सप्ताह में दो या तीन बार किसी भी समय एक लौंग जरूर चूस ले और कुछ दिन बाद महसूस कीजिए!

और हाँ यदि आप ऊपर लिखित बातों को न माने तो आपकी अपनी इच्छा है, आप स्वयं के स्वयं मालिक है आपका निर्णय आपका है! आप यात्रा पर चलने या न चलने के लिए आजाद है , यदि आप आगे नहीं बढ़ना चाह रहे है तो इससे पढ़ने के बाद भूल जाए, क्योकि जैसी संरचना आप चाहते है उसके मालिक आप ही है!

हम आपसे सप्रेम अनुरोध करते है कि आप आगे जबहि बढे जब आप इस पर काम या अभ्यास करने को तैयार हो!