कैसे बनती है स्वर्ण रक्त कोशिकाएं

आप सभी को यह तो ज्ञात है कि शरीर में दो तरह की कोशिकाएं होती है एक श्वेत रक्त कोशिका और दूसरी लाल रक्त कोशिका! श्वेत रक्त कोशिकाएं शरीर रक्षा प्रणाली को संभालती है और लाल रक्त कोशिकाएं बाकी गतिविधियों का संचालन करती है! परन्तु एक तीसरी प्रकार की कोशिका भी शरीर में बनती है वह है स्वर्ण रक्त कोशिका (गोल्डन शैल) यह कोशिका सभी शरीर में नहीं होती है जन्मजात परन्तु इसे पैदा किया जा सकता है यह आपका “पावर बैंक”है!

आप यह तो मानते है कि हर एक कोशिका का जीवन चक्र मात्र तीन सेकण्ड है और कुछ का एक दिन भी है परन्तु आपको यह भी ज्ञात  होगा कि आपका शरीर अनगिनत कोशिकाओं का जोड़ है तो जितनी भी कोशिकाएं शरीर में होती है उन सभी में प्राण गति करता है और आपके दिमाग के द्वारा कन्ट्रोल अलग-अलग कोशिकाओं को हर तीन सेकण्ड में थमा दिया जाता है! अर्थात आप हर तीन सेकण्ड में अपना केंद्र बदलते है! आप इस प्रक्रिया को देख नहीं सकते परन्तु इसकी तुलना स्वयं से कर सकते है, जिस प्रकार मानव की औसत आयु लगभग 80 वर्ष के करीब और मुख्यत: 80 वर्ष में स्वयं पैदा होता है, बढ़ता है और अपने जैसी संतति पैदा करके मर जाता है! यही कार्य एक कोशिका मात्र तीन सेकण्ड में करती है तो आप जान ले कि कितनी तेज प्रक्रिया है! आपका 80 वर्ष = कोशिका का तीन सेकण्ड! इसी कारण कहा जाता है “करे कोई और भरे कोई” क्योकि जहाँ पर केंद्र होता है शरीर का संचालन वही से होता है और उस कोशिका के संस्कार भी उसके साथ होते है तथा वह उन्ही के अनुरूप कार्य करती है मात्र तीन सेकण्ड में यह अपना काम कर देती है चाहे वह अच्छा/बुरा कुछ भी हो, तीन सेकण्ड बाद आपका केंद्र बदलता है तो आपकी दूसरी कोशिका बताती है कि यह गलत हुआ है और मन को सन्देश दिया जाता है अब यह अन्य कोशिकाओं का आपसी संवाद व्यवस्थित करता है और आपको महसूस होता है थोड़ी देर ठहर जाता तो ये-ये न होता! फिर आपको आभास होता है कि अब इससे कैसे बहार निकला जाये यही कारण है “करता कोई है और भरता कोई है!”

इसी तरह आजीवन कोशिकाएं बनती रहती है मिटतीरहती है! परन्तु आप सोच रहे होंगे गोल्डन शैल का ज़िक्र तो आया ही नहीं, तो आप चिन्तित ना हो!

जब आप ध्यान करते है तो उस समय कोशिका के पास केंद्र कन्ट्रोल होता है, ध्यान की सजगता द्वारा वह कोशिका विशेष रूप धारण कर लेती है अर्थात वह स्वयं को एक शक्ति आबंध के साथ ढक लेती है और वह जन्म-मरण से परे हो जाती है! इस कोशिका का रंग श्वेत व लाल कोशिकाओं की तुलना में सुनहरा हो जाता है, जिससे गोल्डन शैल कहते है!

जब आप सजग होकर ध्यान करते है तो मन सीधा आपको मुख्य केंद्र से जोड़ता है और कोशिकाएं अपने अंदर समाहित सारे संस्कारो को भुला देती है जिससे उसका नियमित तीन सेकण्ड में होने वाला कार्य तब तक ध्यान रहता है ठहर जाता है और वह पूर्णतया बदल जाती है! यदि आप भी इस तरह की कोशिकाएं पैदा करना चाहते है तो नियमित रूप से ध्यान करते रहे, आपके अंदर भी गोल्डन शैल बननी शुरू हो जाएगी!

जब शरीर की बहुतायत: कोशिकाएं गोल्डन शैल बन जाती है तो वह शरीर से प्राण निकलता है तो ये कभी-भी किसी शरीर को धारण नहीं करती है! ये अमर हो जाती है और पूर्ण निर्वाण को प्राप्त कर लेती है! अब यह सब आप पर केवल आप पर आधारित है कि आप क्या बनाना चाहते है? स्वयं को!

 

धन्यवाद!

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